राज्यपाल ने कहा- विधायकों की खरीद-फरोख्त हो रही थी; उमर ने कहा- साबित करें
जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग कर देने के अपने फैसले का बचाव किया है। उन्होंने गुरुवार को कहा, ‘‘मुझे खुफिया एजेंसियों से 10 दिन से खबरें मिल रही थीं कि सरकार बनाने के लिए विधायकों को बड़े पैमाने पर पैसा दिया जा रहा है। हॉर्स ट्रेंडिंग हो रही है। लोगों को डराया-धमकाया जा रहा है। आतंकियों की तरफ से धमकियां दी जा रही हैं। जब इस तरह से सरकार बनाने की कोशिश की जा रही थीं तो मैं यह कैसे होने देता?’’ इस पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने आपत्ति जताई। कहा- अगर ऐसा है तो यह बात वे साबित करें। रिपोर्ट सबके सामने आनी चाहिए।
राज्यपाल ने कहा- क्या सरकारें सोशल मीडिया से बनती हैं?
राज्यपाल ने अपने फैसले के बारे में जानकारी देने के लिए गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। सरकार बनाने का दावा करने के पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती के ट्वीट पर कहा- क्या सरकारें सोशल मीडिया के जरिए बनती हैं? मैं न तो ट्वीट करता हूं, न दूसरों के ट्वीट देखता हूं।
‘‘फैक्स नहीं चल पाना कोई मुद्दा नहीं है। कल ईद थी। दोनों (महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला) मुस्लिम हैं। उन्हें यह मालूम होना चाहिए कि ईद पर दफ्तर बंद रहते हैं।’’
‘‘यहां तक कि मेरा खानसामा भी छुट्टी पर था। कल मुझे खाना देने वाला कोई नहीं था, फिर फैक्स देखने वाले व्यक्ति की बात तो छोड़ ही दीजिए।’’
‘‘अगर फैक्स मिल भी जाता तो मेरा फैसला यही रहता। मैंने (विधानसभा भंग करने के लिए) कल का दिन इसलिए चुना क्योंकि यह ईद का पवित्र दिन था।’’
‘‘वे कोर्ट क्यों जाएंगे? वे पांच महीने से विधानसभा भंग करने की ही तो मांग कर रहे थे।’’
‘‘उन्हें डेमोक्रेसी बिल्कुल नहीं चाहिए थी। जब उन्हें लगा कि हमारे हाथ से चीजें निकल रही हैं, उन्होंने एक अपवित्र गठबंधन कर लिया। मैंने किसी से पक्षपात नहीं किया। मैंने जो किया, वह जम्मू-कश्मीर की जनता के पक्ष में किया। चुनाव विरोधी ताकतें एकजुट हो रही थीं।’’
‘‘विधायकों को धमकाने की शिकायत तो महबूबा मुफ्ती ने भी मुझसे की थी। मैं खरीद-फरोख्त नहीं होने दे सकता था।’’
उमर ने कहा- जब पीडीपी-भाजपा साथ आए, तब तो किसी ने सवाल नहीं उठाए
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने राज्यपाल के बयानों पर आपत्ति जताई। उन्हाेंने कहा- ‘‘जब महबूबा जी ने सरकार बनाने की इच्छा जाहिर कर राज्यपाल से मिलने का वक्त मांगा था तो फिर विधानसभा को भंग करने की क्या जरूरत थी?''
‘‘2015 में जब दो अलग-अलग सोच रखने वाली पार्टियां (भाजपा-पीडीपी) साथ आईं तो किसी ने सवाल नहीं उठाए। फिर नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के साथ आने पर सवाल क्यों खड़े किए गए?''
‘‘ऐसा पहली बार हुआ जब राजभवन जैसी जगह पर फैक्स मशीन ही नहीं चली और वह लोकतंत्र की हत्या के लिए जिम्मेदार हो गई। यह वन-वे फैक्स मशीन है। इसमें सिर्फ आउटगोइंग है, इनकमिंग नहीं।’’
‘‘सरकार बनाने का दावा पेश होने पर इसमें फैक्स रिसीव नहीं होता। विधानसभा भंग करने का फैक्स इसमें से चला जाता है। इस अजीब फैक्स मशीन की जांच होनी चाहिए।’’
‘‘अगर गवर्नर के पास ये रिपोर्ट्स हैं कि विधायकों को खरीदा जा रहा था तो यह रिपोर्ट्स सामने आनी चाहिए। हमने कभी नहीं कहा कि हॉर्स ट्रेडिंग हुई। खरीद-फरोख्त के आरोपों की जांच होना चाहिए।''
‘‘भाजपा महासचिव राम माधव आरोप लगा रहे हैं कि मैं पाकिस्तान के इशारों पर चलता हूं और सरकार बनाने की कोशिश कर रहा हूं। मैं मांग करता हूं कि राम माधव सबूत लेकर आएं कि मैं पाकिस्तान के इशारों पर चलता हूं। हम भी देखते हैं कि आप कहां पर खड़े हैं। आप आते हैं, इल्जाम लगाते हैं और पतली गली से निकल जाते हैं।’’
‘‘आप पूछते हैं कि हमने देश के लिए क्या कुर्बानी दी। ये किसी को बताने की जरूरत नहीं है। लोग कह रहे थे कि हम पीडीपी को नई जिंदगी दे रहे थे। हमने सिर्फ कश्मीर के बारे में सोचा।''
राज्यपाल ने कहा- क्या सरकारें सोशल मीडिया से बनती हैं?
राज्यपाल ने अपने फैसले के बारे में जानकारी देने के लिए गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। सरकार बनाने का दावा करने के पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती के ट्वीट पर कहा- क्या सरकारें सोशल मीडिया के जरिए बनती हैं? मैं न तो ट्वीट करता हूं, न दूसरों के ट्वीट देखता हूं।
‘‘फैक्स नहीं चल पाना कोई मुद्दा नहीं है। कल ईद थी। दोनों (महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला) मुस्लिम हैं। उन्हें यह मालूम होना चाहिए कि ईद पर दफ्तर बंद रहते हैं।’’
‘‘यहां तक कि मेरा खानसामा भी छुट्टी पर था। कल मुझे खाना देने वाला कोई नहीं था, फिर फैक्स देखने वाले व्यक्ति की बात तो छोड़ ही दीजिए।’’
‘‘अगर फैक्स मिल भी जाता तो मेरा फैसला यही रहता। मैंने (विधानसभा भंग करने के लिए) कल का दिन इसलिए चुना क्योंकि यह ईद का पवित्र दिन था।’’
‘‘वे कोर्ट क्यों जाएंगे? वे पांच महीने से विधानसभा भंग करने की ही तो मांग कर रहे थे।’’
‘‘उन्हें डेमोक्रेसी बिल्कुल नहीं चाहिए थी। जब उन्हें लगा कि हमारे हाथ से चीजें निकल रही हैं, उन्होंने एक अपवित्र गठबंधन कर लिया। मैंने किसी से पक्षपात नहीं किया। मैंने जो किया, वह जम्मू-कश्मीर की जनता के पक्ष में किया। चुनाव विरोधी ताकतें एकजुट हो रही थीं।’’
‘‘विधायकों को धमकाने की शिकायत तो महबूबा मुफ्ती ने भी मुझसे की थी। मैं खरीद-फरोख्त नहीं होने दे सकता था।’’
उमर ने कहा- जब पीडीपी-भाजपा साथ आए, तब तो किसी ने सवाल नहीं उठाए
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने राज्यपाल के बयानों पर आपत्ति जताई। उन्हाेंने कहा- ‘‘जब महबूबा जी ने सरकार बनाने की इच्छा जाहिर कर राज्यपाल से मिलने का वक्त मांगा था तो फिर विधानसभा को भंग करने की क्या जरूरत थी?''
‘‘2015 में जब दो अलग-अलग सोच रखने वाली पार्टियां (भाजपा-पीडीपी) साथ आईं तो किसी ने सवाल नहीं उठाए। फिर नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के साथ आने पर सवाल क्यों खड़े किए गए?''
‘‘ऐसा पहली बार हुआ जब राजभवन जैसी जगह पर फैक्स मशीन ही नहीं चली और वह लोकतंत्र की हत्या के लिए जिम्मेदार हो गई। यह वन-वे फैक्स मशीन है। इसमें सिर्फ आउटगोइंग है, इनकमिंग नहीं।’’
‘‘सरकार बनाने का दावा पेश होने पर इसमें फैक्स रिसीव नहीं होता। विधानसभा भंग करने का फैक्स इसमें से चला जाता है। इस अजीब फैक्स मशीन की जांच होनी चाहिए।’’
‘‘अगर गवर्नर के पास ये रिपोर्ट्स हैं कि विधायकों को खरीदा जा रहा था तो यह रिपोर्ट्स सामने आनी चाहिए। हमने कभी नहीं कहा कि हॉर्स ट्रेडिंग हुई। खरीद-फरोख्त के आरोपों की जांच होना चाहिए।''
‘‘भाजपा महासचिव राम माधव आरोप लगा रहे हैं कि मैं पाकिस्तान के इशारों पर चलता हूं और सरकार बनाने की कोशिश कर रहा हूं। मैं मांग करता हूं कि राम माधव सबूत लेकर आएं कि मैं पाकिस्तान के इशारों पर चलता हूं। हम भी देखते हैं कि आप कहां पर खड़े हैं। आप आते हैं, इल्जाम लगाते हैं और पतली गली से निकल जाते हैं।’’
‘‘आप पूछते हैं कि हमने देश के लिए क्या कुर्बानी दी। ये किसी को बताने की जरूरत नहीं है। लोग कह रहे थे कि हम पीडीपी को नई जिंदगी दे रहे थे। हमने सिर्फ कश्मीर के बारे में सोचा।''
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